Friday 2 September 2016

कर्फ्यू

कर्फ्यू
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आवारा गलियों में
तेवरों में लौट आये लोग
अपनी शिकायत को
खतरा नाम से पुकारते हैं..
अलाव कुरेद कर
आखिरी लौ से
धमनियों के रक्त को
गर्म रखने की जद्दोजेहद में
नगर-पुत्र
तरतीब से सजाते हैं ताबूत
ताकि
तैयार कर सकें दुधमुँहे को
सतत् संघर्ष में बलि के लिए..
नगर-पिता उबासपन में
नाज़ायज़ इबारत की तरह
छत के मुंडेरों से
पत्थर उछालते हैं
और अंधी चुप्पी की तरह
नाक पर रुमाल रखकर
नगर-माता अपनी कोख टटोलती हैं।
                         - वल्लभ